बगरू ग्रामीण/जयपुर. बीएचयू में संस्कृत टीचर डॉ. फिरोज खान का विरोध हो रहा है...वजह है-उनका मजहब। विरोध करने वाले छात्रों का कहना है कि मुस्लिम होकर वे संस्कृत नहीं पढ़ा सकते। इस बीच बुधवार को संत समाज फिरोज के बगरू स्थित घर पहुंचा। फिरोज के पिता रमजान से मुलाकात की और एक सुर में कहा- हम आपके साथ हैं। शिक्षा काे धर्म से जाेड़ना गलत है। हम इसकी निंदा करते हैं। सौरभ राघवेंद्राचार्य पीठाधीश्वर प्रचार धाम और जुगल दरबार के सेवायत मोहन पंडा सहित संत समाज ने बीएचयू में सहायक आचार्य पद पर फिरोज की नियुक्ति पर विरोध की निंदा करते हुए कहा-सर्वधर्म समभाव संदेश शिक्षा से ही मिलता है।
फिरोज के पिता रमजान ने कहा-विरोध कर रहे छात्र यदि मेरे परिवार की पृष्ठभूमि समझेंगे, तो वे संतुष्ट हो पाएंगे। मेरे पूर्वज सौ साल से राम-कृष्ण के भजन गा रहे हैं। मेरे चारों बेटे संस्कृत विवि में पढ़े हैं। मेरी छोटी बेटी दीवाली को पैदा हुई, इसलिए उसका नाम लक्ष्मी रखा।
दादा गफूर खान: सीताराम के भजन गाकर गुजारा करते थे...
फिरोज के दादा गफूर खान बगरू के जुगल दरबार मंदिर में राधा- कृष्ण और सीताराम के भजन गाते थे। वही संस्कार बेटे रमजान व पोते फिरोज को विरासत में मिले हैं। बगरू की रामदेव गौशाला में पिछले 15-20 साल से रमजान और पूरा परिवार निस्वार्थ भाव से गायों की सेवा करते हैं और भजन गाते हैं।
पिता रमजान : भजन सुनने के लिए कई हिस्सों से लोग आते हैं
रमजान के भजन सुनने राज्य के कई हिस्सों से लोग बगरू आते हैं। कुछ साल पहले जयपुर में एक गौसेवक की माता ने अंतिम समय में रमजान के मुंह से कृष्ण भजन सुनने की इच्छा जताई। उनका बेटा उन्हें रमजान के यहां ले गया। स्थानीय लोगों की जुबान पर रमजान से जुड़े ऐसे कई किस्से हैं।
संत बोले... फिरोज संस्कृत का बड़ा विद्वान, हमें इस पर गर्व है
बगरू के संत और स्थानीय लोग रमजान के परिवार को सच्चा हिन्दू मानते हैं। रघुनाथधाम पचार के महंत सौरभ राघवेंद्रचार्य के मुताबिक फिरोज संस्कृत का इतना बड़ा विद्वान है, यह हमारे लिए गौरव की बात है। फिरोज का विरोध करने वालों की या तो डिग्री फर्जी या वे खुद फर्जी हैं।